वंदना
हे कृपानिधान ; करुना की खान ,
तुझमे है अद्भुत ; शक्ति -ज्ञान .
तुझसे ही चलता ; ये सरसती -यान ,
तुझमे ही समाहित ; विश्व -महान .
सूर्य बन ; इस वसुंधरा को ,
करता तू ही ; देदीप्यमान .
मेघ बन ; निज कालिमा से ,
धक् लेता ; तू ही आसमान .
दया ,क्षमा ; करुना ; के सागर
तू है अपरमित ; गुणों की खान .
मई अनुरागी ; विवेकहीन नर
कैसे करू ; तेरा बखान
.
हो हमारी ; अनुरक्ति तुझमे ,
करू मै ; तेरा ही गुणगान
ऐसी मुझको ; शक्ति दे प्रभु ,
जपु सदा ; तेरा ही नाम .
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"ऐसी मुझको; शक्ति दे प्रभु ,
ReplyDeleteजपु सदा; तेरा ही नाम"
हो हमारी ; अनुरक्ति तुझमे ,
ReplyDeleteकरू मै ; तेरा ही गुणगान
ऐसी मुझको ; शक्ति दे प्रभु ,
जपु सदा ; तेरा ही नाम
bahut khubsurat vandana , sunder bhavo ke saath.............aabhar
सुशीला जी, इस प्यारी सी वंदना को पढवाने का शुक्रिया।
ReplyDelete------
चलो चलें मधुबन में....
मन की प्यास बुझाओ, पूरी कर दो हर अभिलाषा।
सुशीला जी, शायद आपने ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।
ReplyDeleteभावपूर्ण चित्रण.बहुत सुन्दर प्रस्तुति.आभार!
ReplyDeletebhawpurn vandana...
ReplyDeleteshat shat naman..
likhte rahen...
ye word verification hata dijiye
ReplyDeleteis se log irritate ho jate hain, comment karne me...
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
सूर्य बन ; इस वसुंधरा को ,
करता तू ही ; दैदीप्यमान
मेघ बन ; निज कालिमा से ,
ढक लेता ; तू ही आसमान
दया ,क्षमा , करुणा के सागर
तू है अपरमित ; गुणों की खान
मैं अनुरागी ; विवेकहीन नर
कैसे करूं तेरा बखान
बहुत सुंदर !
आदरणीया डॉ.सुशीला जी
आपकी लेखनी ने आनंदित कर दिया ...
# आशा है सपरिवार स्वस्थ सानंद हैं
नई पोस्ट बदले हुए बहुत समय हो गया है …
आपकी प्रतीक्षा है सारे हिंदी ब्लॉगजगत को …
:)
हार्दिक मंगलकामनाएं !
मकर संक्रांति की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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http://www.bhannaat.com/2016/06/abdul-kalaam-childhood-story-in-hindi.html
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप, परन्तु हिन्दी में गलतियाँ कर दी हैं आपने बहुत सारी...
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ReplyDeletedigitechon.com