जीवन का मूल्य
क्यूँ करते हो छह किसी की
कौन तुम्हे मिल जाएगा ,
सारा जीवन तिल -तिल जलकर
एक दिन पूरा जल जाएगा .
फिर भी दुनिया वालों को
तुम पर तरस न आएगा ,
हँसते है ये हँसते रहेंगे
तू ही रोता जाएगा .
मान ले अब भी मेरा कहना
नहीं तो फिर पछताएगा ,
है अमूल्य यह मानव जीवन
फिर न लौट के आएगा .
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ReplyDeletehappy holi to all my blogger friend.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , पर हम इंसान हैं ही ऐसे बिना चाह के जी नहीं पाते...
ReplyDeleteसुशीला जी ....शायद रचना में एक त्रुटी है चाह को छह लिखा गया है गलती से....अगर छह है तो ठीक है नहीं तो उसे EDIT कर दें PLS