vandana
hey kripanidhaan; karuna ki khan,
tujhme hai adbhut; shakti-gyaan.
Tujhse hi chalta; ye srasti-yaan,
Tujhme hi samahit; vishwa-mahaan.
Soorya ban; is vasundhara ko,
Karta to hi; dedipyamaan.
Megh ban; nij kalmia se ,
Dhak leta; tu hi aasmaan.
Daya ,kshama; karuna; ke sagar
Tu hai aparmit; gudon ki khan.
Mai anuragi; vivekheen nar
Kaise karu; tera bakhan.
Karu mai ; tera hi gungaan
Aisee mujhko; shakti de prabhu,
Japu sada; tera hi naam.
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.........................................
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,
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"ऐसी मुझको शक्ति दो प्रभु
ReplyDeleteजपूं सदा तेरा ही नाम"
जय श्री कृष्ण
श्री कृष्ण जी तो मानव थे। इस बात की खोज अनिवार्य है कि श्री कृष्ण जी के समय में कौन भगवान थे।
ReplyDeleteसुशीला जी,
ReplyDeleteनमस्ते, बहुत सुंदर गुणगान किया है जग के पालनहार का, इस कविता में ,
बधाई स्वीकार करें
सुरिन्दर रत्ती
मुंबई
hi
ReplyDeletesurindarji ,namaskar
very very thanks,i hope aage bhi aap mera utsaahvardhan karenge.
इतनी सुन्दर वंदना रोमन अक्षरों में क्यों?
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण
ReplyDeleteकान्हा की सुंदर स्तुति ..... बहुत बढ़िया
ReplyDelete"ऐसी मुझको शक्ति दो प्रभु
ReplyDeleteजपूं सदा तेरा ही नाम"
बहुत बढ़िया
bahut khoob, prabhu ka bahut hi pyara gungaan kiya hai apne
ReplyDeleteparh kar accha laga.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआनंददायक प्रस्तुति के लिए आपका आभार
ReplyDeleteDr.Sushilaji bahut bahut sunder likha hai. jai sri krishna.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने,,,,,अगर इसे हिंदी भाषा में लिखते तो और सुंदरता बढती........जय श्री कृष्ण
ReplyDeleteसुशीला जी......हमारे ब्लॉग पर आने का और हौसला बढ़ने का तहेदिल से शुक्रिया..........आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा......बहुत अच्छा लिखा है आपने....अगर हो सके तो हिंदी में टाइप करके लिखे तो ज्यादा बेहतर लगेगा|
ReplyDeleteme kahi or hu islye or computer me kuch problem hai isliye hidni me diya nahi likh paa raha..magar aacha lagta agar aap hindi me hi apna parichay or bhajag likhti
ReplyDeleteनमस्कार....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव
3- http://neelkamal5545.blogspot.com
यह भजन गुनगुनाना अच्छा लगा।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है !